Wheat price hike: महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी के लिए एक बुरी खबर है। आम आदमी को अगले महीने से महंगाई का एक और झटका लगने वाला है। जहां एक तरफ रसोई गैस सिलेंडर और खाने के तेल समेत जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं वहीं, अब आटा, ब्रेड, बिस्किट और आटे से बने प्रोडक्ट्स के दाम भी बढ़ने वाले हैं। दरअसल, महंगाई की मार गेहूं की कीमतों पर जबरदस्त नजर आ रहा है। गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ती ही जा रही है। इस साल 2022 में अब तक गेहूं की कीमतें 46 फीसदी तक बढ़ गए हैं। वर्तमान में मार्केट में गेहूं MSP से करीब 20 पर्सेंट महंगा बिक रहा है। ऐसे में गेहूं के महंगे होने से ब्रेड, बिस्किट, आटा और आटे से बने प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ जाएंगे।
क्या है महंगाई की वजह
भारतीय खाद्य निगम (FCI) सप्लाई बढ़ाने और बाजार में खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं की प्रचुरता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से OMS योजना के तहत गेहूं बेचता है। बता दें कि जिस सीजन में गेहूं की आवक कम होती है उस सीजन में यह बिक्री जा रही है। FCI के इस कदम से मार्केट में गेहूं की सप्लाई होती रहती है और कीमतें भी कंट्रोल में रहती है। FCI से हाई वाॅल्युम में एक वर्ष में सात से आठ मिलियन टन तक गेहूं खरीदा जाता है। हालांकि, केंद्र ने चालू वर्ष में गेहूं के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) की घोषणा नहीं की है, जिससे कंपनियों को महंगाई और कमी की चिंता है।
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जून से बढ़ेंगी कीमतें
बता दें की कीमतों का असर जून से महसूस हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मई बैच में फुलाए हुए गेहूं के उत्पादन की संभावना है। एफसीआई पिछले कुछ सालों से गेहूं पर सरप्लस के कारण छूट की पेशकश कर रहा था। माल ढुलाई सब्सिडी से कंपनियों को भी फायदा हुआ है। पिछले साल 2021-22 में भारतीय गेहूं प्रोसेसिंग इंडस्ट्री ने सरकार से करीब 70 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। OMSS पर सरकार की ओर से अब तक कोई घोषणा नहीं होने के कारण, कंपनियों को अपना सारा गेहूं ओपन बाजार से खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है और कंपनियां यह लागत बोझ कंज्यूमर्स पर डाल सकती है।