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सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की पूर्ववर्ती कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) में अपनी शेष 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए इस महीने अमेरिका से अंतरराष्ट्रीय रोडशो की शुरुआत कर सकती है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। सरकार ने जिंक कंपनी से पिछले साल बाहर निकलने का फैसला किया था, लेकिन कंपनी की मालिक अनिल अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड के प्रस्ताव के कारण योजना लटक गई।
वेदांता बेचना चाहती थी हिस्सेदारी: वेदांता अपनी वैश्विक जिंक एसेट्स HZL को बेचना चाहती थी। कई विश्लेषकों का मानना था कि यह उसका पूर्ववर्ती सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी की भारी नकदी का लाभ उठाने का प्रयास है। HZL में निदेशक के तौर पर सरकार ने मूल्यांकन के मुद्दों पर इस कदम का विरोध किया। वेदांता के प्रस्ताव की अवधि पिछले महीने खत्म हो गई और अब सरकार अपनी योजना के साथ आगे बढ़ना चाहती है।
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अधिकारी ने कहा कि निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) अब एक बिक्री पेशकश (ओएफएस) में तेजी लाने पर विचार कर रहा है, जिसके माध्यम से शेष हिस्सेदारी संस्थागत और सार्वजनिक निवेशकों को बेची जाएगी। प्रवर्तक वेदांता समूह की HZL में 64.92 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जो जस्ता, सीसा और चांदी का एकीकृत उत्पादक है।