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Adani Hindenburg row: हिंडनबर्ग और अडानी समूह के मामले में जांच के लिए सेबी को 14 अगस्त तक का समय मिला है। बता दें कि सेबी ने इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने की मांग की थी। बीते 24 जनवरी को अमेरिका के शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर शेयरों से हेरफेर और शेल कंपनियों के जरिए फ्रॉड करने के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई और निवेशकों के कई लाख करोड़ रुपये डूब गए। इसी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 महीने में जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।
यह डेडलाइन 2 मई को खत्म होने से पहले ही सेबी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेबी का कहना था कि इतनी कम अवधि में जांच संभव नहीं है। इस मामले में कई सारे पेच हैं। सेबी ने कहा था कि जांच में कम से कम छह महीने लग जाएंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की इस मांग को खारिज करते हुए 14 अगस्त तक जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
अडानी समूह को बचाने का प्रयास: इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अडानी समूह की कंपनियों को बचाने का एक स्पष्ट प्रयास किया गया। सेबी और प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) के पास अडानी समूह से जुड़े कई मामले थे। समूह के बारे में संदेह के बावजूद दो साल में इसके शेयरों में करीब 10,000 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि जब तक सेबी 2016 से मामले की जांच की जानकारी नहीं देगा तब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी। इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सेबी ने बताया था कि 2016 से अडानी समूह की जांच नहीं हो रही है। पहले मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि 2016 से अडानी समूह की जांच की जा रही है।