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अडानी-हिंडनबर्ग केस में आरोपों की जांच के लिए एक्सपर्ट्स के नए पैनल को बनाने की मांग की गई है। इस केस से जुड़े याचिकाकर्ताओं में से एक ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की है। याचिकाकर्ता ने छह सदस्यों के पैनल में से तीन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन देते हुए याचिकाकर्ता अनामिका जयसवाल ने दावा किया कि एक्सपर्ट्स पैनल में ओपी भट्ट (भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष), केवी कामथ (बैंकर) और वरिष्ठ वकील सोमशेखर सुंदरेसन को शामिल करना उचित नहीं है, क्योंकि उनके हितों के टकराव की संभावना है।
ओपी भट्ट पर क्या आरोप
आवेदन के अनुसार, ओपी भट्ट वर्तमान में एक प्रमुख रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी ग्रीनको के चेयरमैन के रूप में काम कर रहे हैं। यह कंपनी अडानी समूह के साथ साझेदारी में काम कर रही है। याचिकाकर्ता का दावा है कि ओपी भट्ट से मार्च 2018 में भगोड़े विजय माल्या को लोन देने में कथित गड़बड़ी के मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ की गई थी। इसके मुताबिक भट्ट ने साल 2006 और 2011 के बीच एसबीआई के अध्यक्ष के रूप में काम किया था, जब इनमें से अधिकांश लोन माल्या की कंपनियों को दिए गए थे।
केवी कामथ पर क्या आरोप
याचिकाकर्ता ने कहा कि केवी कामथ 1996 से 2009 तक ICICI बैंक के चेयरमैन थे और इनका नाम ICICI बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई की एफआईआर में था। इस मामले में ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
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सोमशेखर सुंदरेसन पर क्या आरोप
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वरिष्ठ वकील सुंदरेसन, सेबी बोर्ड सहित अलग-अलग निकायों के समक्ष अडानी समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रहे हैं। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में सेबी बोर्ड द्वारा पारित 2007 का एक आदेश संलग्न किया है, जिसमें सुंदरेसन को अडानी समूह के लिए उपस्थित दिखाया गया था।
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क्या है पूरा मामला
दरअसल, जनवरी महीने में अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर रिपोर्ट जारी करते हुए नियामक विफलता और कानूनों के उल्लंघन के आरोप लगाए। इन आरोपों की वजह से शेयर बाजार में हड़कंप मच गया और निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। इसके बाद हिंडनबर्ग रिपोर्ट और निवेशकों के नुकसान का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं। 2 मार्च 2023 को इसकी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने छह सदस्यीय पैनल का गठन भी किया। रिटायर्ड जज एएम सप्रे की अगुवाई वाले इस पैनल में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल थे। इसके करीब ढाई महीने बाद पैनल ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी। रिपोर्ट में अडानी समूह को क्लीन चिट मिल गई है। इसी के बाद अब याचिकाकर्ता ने नए पैनल के गठन का आवेदन दे दिया है।