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देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) अपने कर्ज और कंपनियों के इक्विटी एक्सपोजर पर कैप लगाने की योजना बना रही है। इसका मकसद बीमा कंपनी के रिस्क को कम करना है। बता दें कि अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद LIC के निवेश या एक्सपोजर को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हुए। LIC के अडानी समूह में निवेश पर रिस्क होने के कयास लगाए जाने लगे। इस वजह से बीमा कंपनी के शेयरों में भी बड़ी गिरावट आई।
क्या है योजना
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि LIC निवेश पर ‘सीमा शर्तों’ की तलाश कर रही है। इसके तहत निवेश की एक सीमा निर्धारित किए जाने की योजना है, जो जोखिम को सीमित कर देगी। वर्तमान में LIC किसी कंपनी में बकाया इक्विटी का 10% से अधिक और बकाया डेट का 10% निवेश नहीं कर सकती है।
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सूत्र ने बताया कि इस योजना के जरिए LIC निवेश रणनीतियों को मजबूत करना चाहती है। इसके साथ ही LIC का मकसद अपने निवेश निर्णयों या अडानी समूह जैसी संस्थाओं के जोखिम की सार्वजनिक आलोचना से रोकना है। हालांकि, LIC बोर्ड द्वारा नई योजना को मंजूरी अभी नहीं मिली है। वहीं, इस पर LIC और वित्त मंत्रालय की ओर से भी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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ऑल टाइम लो पर शेयर
इस खबर के बीच सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन LIC के शेयर ऑल टाइम लो पर पहुंच गए। शुक्रवार को शेयर की कीमत लुढ़क कर 562 रुपये के स्तर तक पहुंच गई।