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सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने हिंडनबर्ग के आरोपों पर अडानी समूह को क्लीन चिट देने के साथ ही कुछ डील पर सवाल खड़े किए हैं। इस पैनल ने कहा कि 4 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) सहित 6 इकाइयां अडानी समूह के शेयरों में संदिग्ध डील के लिए जांच के घेरे में हैं। बता दें कि बीते दिनों समिति ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सब्मिट की है।
क्या है रिपोर्ट में
रिपोर्ट में कहा गया कि कैश कैटेगरी में अडानी के शेयरों के संबंध में कोई निगेटिव बात नहीं पाई गई, लेकिन छह इकाइयों की ओर से संदिग्ध डील हुए। इनमें से चार FPI, एक कॉरपोरेट इकाई और एक व्यक्ति हैं। रिपोर्ट में छह में से किसी का नाम नहीं बताया गया। इस संबंध में विस्तृत जांच की जा रही है। समिति ने कहा कि इस संबंध में तथ्यात्मक निष्कर्ष अभी बेहद शुरुआती स्तर के हैं और फिलहाल वह साक्ष्य की गुणवत्ता के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं कर रही है। इन मामलों की जांच की जा रही है।
शॉर्ट पोजिशन के जरिए मुनाफा
समिति ने 178 पेज की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडानी समूह के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजिशन’ (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाई गई और भाव गिरने पर इन डील्स में पर्याप्त मुनाफा दर्ज किया गया। समिति ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और धनशोधन के आरोप लगाए जाने के बाद इन शेयरों के भाव में भारी गिरावट आने पर इन शेयर डील्स में मुनाफा कमाया गया।
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सेबी भी कर रहा जांच
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की पहले से ही जांच कर रहा था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की थी। इस समिति के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश एएम सप्रे बनाए गए थे जबकि ओ पी भट्ट, के वी कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेशन इसके सदस्य थे।