इन दिनों कैथल के सोलू माजरा गांव में अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स के साइलो में किसानों की भीड़ रहती है। हर किसान अनाज बेचने के लिए आ रहा है। अनाज की बिक्री के लिए किसानों को बहुत ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता है।
2 घंटे में हो जाता है सबकुछ: अनाज के तौल, उतराई, नमी माप और ऑनलाइन बिलिंग की पूरी प्रक्रिया में लगभग दो घंटे लगते हैं। ये पूरी प्रक्रिया मशीनों द्वारा की जाती है। पहले किसानों को कृषि उत्पाद बाजार समिति या मंडियों में अपनी उपज बेचने के लिए पूरा दिन बिताना पड़ता था। इस लिहाज से बड़ी राहत मिल रही है। यही वजह है कि साइलो के बाहर किसानों की लंबी कतारें रहती हैं।
सरकार खरीद रही: दरअसल, भारतीय खाद्य निगम यानी FCI के लिए अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स ने 2007 में भारत का पहला आधुनिक अनाज भंडारण इंफ्रास्ट्रक्चर शुरू किया। इसने अनाज का भंडारण करने के लिए कैथल (हरियाणा) में मान्यता प्राप्त अनाज साइलो को किराए पर लिया। इसकी मान्यता 20 साल के लिए है। बता दें कि इस साल कैथल और कुरुक्षेत्र जिले की करीब 18 मंडियों से जुड़े किसानों को अपनी उपज सीधे साइलो को बेचने के लिए यह वैकल्पिक सुविधा दी गई थी।
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दरअसल, सरकार ने 2.12 लाख मीट्रिक टन सीधे खरीद का लक्ष्य रखा है लेकिन ढांड और पुंडरी अनाज मंडियों के किसान अपनी उपज को साइलो में ला रहे हैं क्योंकि इन मंडियों में खरीद नहीं हो रही है।
किसानों का रिएक्शन: अधिकांश किसान साइलो में व्यवस्थाओं की तारीफ कर रहे हैं और उन्हें पता है कि खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा की जा रही है। लेकिन वे अभी भी इस धारणा में हैं कि सरकार मंडी व्यवस्था को खत्म करने के लिए खरीद में निजी कंपनियों को शामिल कर रही है।
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एक युवा किसान विक्रांत राणा ने कहा, “निःसंदेह वे बेहतर सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन हम पूरी तरह से निजी क्षेत्र पर भरोसा नहीं कर सकते हैं और अगर निजी खरीदार हमारी उपज को अस्वीकार करते हैं तो किसानों को वैकल्पिक समर्थन के रूप में मंडी प्रणाली भी होनी चाहिए।”